प्रश्न 1. (अपठित बोध)

(क) गद्यांश के अनुसार ईर्ष्या का व्यक्ति पर क्या प्रभाव होता है?
(iii) मानसिक शांति भंग होना
ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों के पास मौजूद चीज़ों के लिए दुखी रहता है और अपनी तुलना दूसरों से करता है, जिससे उसकी मानसिक शांति भंग हो जाती है।

(ख) निम्नलिखित कथन और कारण पर विचार करते हुए उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए:
कथन: ईर्ष्या पहले उसी को जलाती है, जिसके हृदय में उसका जन्म होता है।
कारण: ईर्ष्या मनुष्य के मौलिक गुणों और रचनात्मकता का विकास करती है।
विकल्प:
(iv) कथन सही है किंतु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है।
गद्यांश स्पष्ट रूप से बताता है कि ईर्ष्या मनुष्य के मौलिक गुणों को कुंठित करती है, न कि उनका विकास करती है। इसलिए, कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है।

(ग) गद्यांश के अनुसार यदि मनुष्य ईर्ष्या से मुक्त हो जाए तो उसे क्या लाभ होगा/होंगे?
उचित विकल्प का चयन कीजिए-
(I) मौजूद वस्तुओं का आनंद ले पाएगा
(II) निंदा और द्वेष भाव से दूर रहेगा
(III) दूसरों की उपलब्धियों से प्रेरित होगा
(IV) उसके मौलिक गुण कुंठित हो जाएँगे
विकल्प:
(iv) कथन (I), (II) और (III) सही हैं।
यदि मनुष्य ईर्ष्या से मुक्त हो जाए, तो वह अपनी मौजूद वस्तुओं का आनंद ले पाएगा, निंदा और द्वेष भाव से दूर रहेगा, और दूसरों की उपलब्धियों से प्रेरित होगा। मौलिक गुण कुंठित होना ईर्ष्या का परिणाम है, मुक्ति का नहीं।

(घ) गद्यांश के अनुसार एक ईर्ष्यालु व्यक्ति ‘निंदक’ क्यों बन जाता है?
एक ईर्ष्यालु व्यक्ति निंदक इसलिए बन जाता है क्योंकि वह दूसरों को गिराकर खुद को ऊँचा उठाना चाहता है। उसे लगता है कि दूसरों की निंदा करने से वे जनता या मित्रों की आँखों से गिर जाएँगे और उस स्थान पर वह अनायास ही बैठ जाएगा।

(ङ) गद्यांश के अनुसार ईर्ष्या मनुष्य की उन्नति में बाधक क्यों हैं?
ईर्ष्या मनुष्य की उन्नति में बाधक है क्योंकि यह उसे अपनी प्रगति के लिए उद्यम करने से रोकती है। ईर्ष्यालु व्यक्ति अपने अभावों पर दिन-रात सोचता रहता है, दूसरों को हानि पहुँचाने को अपना कर्तव्य समझता है, और अपने चरित्र को निर्मल बनाने तथा गुणों का विकास करने के बजाय दूसरों की निंदा करता है। ईर्ष्या सबसे पहले उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है और मनुष्य के मौलिक गुणों को कुंठित कर देती है, जिससे उसकी उन्नति रुक जाती है।

प्रश्न 2. (अपठित काव्यांश)

(क) काव्यांश में ‘अंधकार’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया है?
(iv) परतंत्रता
काव्यांश में अंधकार का प्रयोग सदियों की गुलामी और परतंत्रता को दर्शाने के लिए किया गया है, जिसे जनता अपने सपनों और शक्ति से चीर रही है।

(ख) काव्यांश के अनुसार किसकी शक्ति समय और काल से भी बढ़कर है?
(ii) जनता की
काव्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।” यह दर्शाता है कि जनता की शक्ति समय और काल से भी बढ़कर है।

(ग) निम्नलिखित कथन और कारण पर विचार करते हुए उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए:
कथन: कवि के अनुसार अब राज सिंहासन जनता का है, राजा का नहीं।
कारण: जनतंत्र में वास्तविक शक्ति जनता के मताधिकार में ही निहित है।
विकल्प:
(iii) कथन सही है और कारण, कथन की सही व्याख्या है।
काव्यांश में “अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है, तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।” पंक्तियाँ स्पष्ट करती हैं कि राज सिंहासन जनता का है। इसका कारण जनतंत्र में जनता के मताधिकार में निहित वास्तविक शक्ति है।

(घ) कवि सिंहासन किसके लिए और क्यों खाली करवाना चाहता है?
कवि सिंहासन जनता के लिए खाली करवाना चाहता है क्योंकि अब जनता जागरूक हो गई है और अपनी शक्ति को पहचान चुकी है। वह चाहती है कि देश का शासन स्वयं उसके हाथों में हो, न कि किसी राजा या शासक के। “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” पंक्ति इस भावना को व्यक्त करती है।

(ङ) काव्यांश में किसान और श्रमिकों को देवता क्यों कहा गया है?
काव्यांश में किसान और श्रमिकों को देवता इसलिए कहा गया है क्योंकि वे ही सच्चे निर्माता और अन्नदाता हैं। वे सड़कों पर गिट्टी तोड़ते हैं, खेतों में काम करते हैं और अपनी कड़ी मेहनत से समाज का भरण-पोषण करते हैं। कवि उन्हें मंदिरों और राजप्रसादों में ढूंढ़ने के बजाय सड़कों, खेतों और खलिहानों में सच्चा देवता मानता है, जो वास्तविक सृजन और श्रम का प्रतीक हैं।

खंड – ख
(व्यवहारिक व्याकरण)

प्रश्न 3. निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

(i) आगे बढ़कर मोती ने साँड़ का सामना किया। (संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए)
मोती आगे बढ़ा और उसने साँड़ का सामना किया।

(ii) मनीषा के विद्यालय पहुँचने से पूर्व शिक्षक जा चुके थे। (मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए)
जब मनीषा विद्यालय पहुँची, तब शिक्षक जा चुके थे।

(iii) रामवृक्ष बेनीपुरी दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए। (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए।)
सरल वाक्य

(iv) चोर ने देखा कि उसके बचाव का कोई उपाय नहीं है। (आश्रित उपवाक्य का भेद लिखिए)
संज्ञा उपवाक्य

(v) जब विपत्ति आए, तब धैर्य रखना। (सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए)
विपत्ति आने पर धैर्य रखना।

प्रश्न 4. निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

(i) महिमा से सोया नहीं जाता। (वाच्य भेद का नाम लिखिए)
भाववाच्य

(ii) हालदार साहब द्वारा पान खाया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
हालदार साहब ने पान खाया।

(iii) संदीप पतंग उड़ाता है। (वाच्य भेद का नाम लिखिए)
कर्तृवाच्य

(iv) कर्मचारी कल फाइल भेजेगा। (कर्मवाच्य में बदलिए)
कर्मचारी द्वारा कल फाइल भेजी जाएगी।

(v) जिस वाक्य में क्रिया का केंद्र बिंदु भाव हो, उसमें कौन-सा वाच्य होता है?
भाववाच्य

प्रश्न 5. निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए।

(i) सुबह हमें यूमथांग के लिए निकल पड़ना था।
सुबह: कालवाचक क्रियाविशेषण, ‘निकल पड़ना था’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

(ii) हलवाई मीठी जलेबियाँ बना रहा है।
मीठी: गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘जलेबियाँ’ विशेष्य का विशेषण।

(iii) अंकित कल कार चला रहा था।
चला: सकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, अपूर्ण क्रिया।

(iv) बंदर पेड़ पर उछल-कूद कर रहा था
रहा था: अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, अपूर्ण क्रिया।

(v) नवाब साहब धीरे-धीरे खीरा छीलने लगे।
धीरे-धीरे: रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘छीलने लगे’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

प्रश्न 6. निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों की रेखांकित काव्य पंक्तियों में अलंकार पहचानकर लिखिए।

(i) जिस दिन जन्म लियो आल्हा ने, धरती धंसी अढाई हाथ
अतिशयोक्ति अलंकार (जन्म के कारण धरती का अढाई हाथ धँस जाना बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।)

(ii) पाहून ज्यों आए हों गाँव में शहर के
उत्प्रेक्षा अलंकार (ज्यों शब्द से उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जा रही है।)

(iii) इतना रोया था मैं उस दिन, ताल-तलैया सब भर डाले
अतिशयोक्ति अलंकार (इतना रोना कि ताल-तलैया भर जाए, यह बात बढ़ा-चढ़ाकर कही गई है।)

(iv) उर विहग-सा उड़ रहा है, नील गगन के बीच
उपमा अलंकार (उर (हृदय) की तुलना विहग (पक्षी) से ‘सा’ वाचक शब्द के साथ की गई है।)

(v) सागर के ऊपर नाच-नाच, लहरें करती हैं मधुर गान
मानवीकरण अलंकार (लहरों को नाचते हुए और मधुर गान करते हुए दिखाया गया है, जो मानवीय क्रियाएँ हैं।)

खंड – ग
(पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक)

प्रश्न 7. निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।

(i) बालगोबिन भगत का प्रत्येक वर्ष गंगा-स्नान के लिए जाने का प्रमुख कारण क्या था?
(C) संतों की संगति और लोगों को देखने की लालसा
गद्यांश में स्पष्ट है कि वे स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते जितना संत समागम और लोक-दर्शन पर।

(ii) बालगोबिन भगत ‘गंगा-स्नान’ जाने के दौरान घर से अन्न लेकर नहीं चलते थे क्योंकि –
(C) साधू व्यक्ति अन्न साथ लेकर नहीं चलता।
गद्यांश में लिखा है, “साधू को संबल लेने का क्या हक? और, गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगें? अतः घर से खाकर चलते, तो फिर घर पर ही लौटकर खाते।”

(iii) ‘किन्तु टेक वही जवानी वाली।’ यहाँ ‘टेक’ से आशय है –
(A) ज़िद
यहाँ ‘टेक’ का अर्थ है अटल निश्चय या आदत, जिसे वे वृद्धावस्था में भी नहीं छोड़ते।

(iv) कथन और कारण को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए :
कथन (A): बालगोबिन भगत सिद्धांतों और आदर्शों का सख्ती से पालन करते थे।
कारण (R): तबीयत बिगड़ने पर भी उन्होंने अपनी दिनचर्या में बदलाव नहीं किया।
उपर्युक्त कथनों के आधार पर सही विकल्प का चयन कीजिए।
(C) कथन )A (सही है और कारण) R (कथन) A (की सही व्याख्या है।
बालगोबिन भगत का तबीयत बिगड़ने पर भी अपनी दिनचर्या में बदलाव न करना उनके सिद्धांतों और आदर्शों के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।

(v) प्रस्तुत गद्यांश में वर्णन नहीं है –
(C) भगत द्वारा गीत गाते हुए खेत में फसल रोपने का
गद्यांश में गंगा-स्नान, तबीयत बिगड़ने और आदर्शों पर जीवन जीने का वर्णन है, लेकिन खेत में फसल रोपने का वर्णन नहीं है, बल्कि खेतीबाड़ी देखने का जिक्र है।

प्रश्न-8) निर्धारित गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए-

क) सरकंडे के चश्मे को ‘उम्मीद जगाने वाला’ कहने के पीछे लेखक का क्या आशय है?’ नेताजी का चश्मा पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
लेखक का आशय यह है कि सरकंडे का चश्मा बच्चों द्वारा बनाया गया था, जो इस बात का प्रतीक था कि देशभक्ति की भावना अभी भी लोगों के, खासकर नई पीढ़ी के, मन में जीवित है। यह इस बात की उम्मीद जगाता है कि देश प्रेम की भावना कभी खत्म नहीं होगी, भले ही बड़े लोग उसे भूलते जा रहे हों।

ख) बालगोबिन भगत की दिनचर्या अन्य लोगों के लिए अचरज का विषय क्यों थी?
बालगोबिन भगत की दिनचर्या अन्य लोगों के लिए अचरज का विषय इसलिए थी क्योंकि वे बुढ़ापे में भी अत्यंत कठिन और अनुशासित जीवन जीते थे। वे भोर में उठकर प्रभाती गाते, गंगा-स्नान के लिए पैदल जाते, खेती का काम करते, और अपनी तबीयत खराब होने पर भी नियमों का पालन करते रहे। उनका यह अटल स्वभाव लोगों को आश्चर्यचकित करता था।

ग) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब दिखावे की शैली अपनाते हैं। वर्तमान संदर्भ में इस प्रकार की जीवन-शैली की समीक्षा कीजिए।
‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब केवल दिखावे के लिए खीरा सूंघकर फेंक देते हैं, जो उनकी बनावटी जीवन-शैली को दर्शाता है। वर्तमान संदर्भ में भी ऐसी दिखावटी जीवन-शैली आम है, जहाँ लोग सोशल मीडिया पर अपनी झूठी शान-शौकत और दिखावटी जीवनशैली का प्रदर्शन करते हैं। यह प्रवृत्ति समाज में अनावश्यक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक दबाव को बढ़ाती है, जिससे लोग अपनी वास्तविकता से दूर होते जाते हैं।

घ) ‘कबीर’ के कौन-से सिद्धांत बालगोबिन भगत के जीवन में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते (दिखाई देते) हैं?
बालगोबिन भगत के जीवन में कबीर के कई सिद्धांत स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। वे कबीर के पदों को गाते, उन्हीं के आदर्शों पर चलते और उन्हीं को साहब मानते थे। उनके जीवन में सादगी, निर्लिप्तता (किसी से कुछ न लेना), गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी साधुता, कर्मठता, और सामाजिक कुरीतियों का विरोध (जैसे पतोहू का दूसरा विवाह करवाना) जैसे कबीरपंथी विचार साफ दिखाई देते हैं।

प्रश्न 9. निम्नलिखित पठित पद्‌द्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।

(i) परशुराम धनुष तोड़ने वाले व्यक्ति को किसके समान अपना दुश्मन मानते हैं?
(C) सहस्रबाहु के
पद में स्पष्ट कहा गया है, “सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।”

(ii) किस पंक्ति में परशुराम धनुष तोड़ने वाले को बाकी लोगों से अलग हो जाने को कह रहे हैं?
(C) सो बिलगाउ बिहाइ समाजा
इस पंक्ति का अर्थ है, “वह समाज छोड़कर अलग हो जाए।”

(iii) कथन और कारण को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए :
कथन (A): परशुराम अत्यंत क्रोध में है।
कारण (R): सीता स्वयंवर में परशुराम के फरसे को खंडित कर दिया गया है।
उपर्युक्त कथनों के आधार पर सही विकल्प का चयन कीजिए।
(A) कथन )A (सही है, किंतु कारण) R( गलत है।
परशुराम क्रोध में हैं, यह कथन सही है। लेकिन उनके क्रोध का कारण शिव धनुष का टूटना है, न कि उनके फरसे का खंडित होना।

(iv) परशुराम के वचनों को सुनकर लक्ष्मण ने उत्तर दिया –
(D) मुस्कुरा कर
पद में लिखा है, “सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने।”

(v) लक्ष्मण के तर्क के अनुसार उन्होंने बचपन में ऐसे अनेक धनुष –
(D) तोड़े हैं
लक्ष्मण कहते हैं, “बहु धनुही तोरी लरिकाईं।” (बचपन में हमने ऐसे कई धनुष तोड़े हैं।)

प्रश्न-10) निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए।

क) सूर के पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
सूर के पदों में गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण नकारात्मक है। वे इसे ‘कड़वी ककड़ी’ और ‘व्याधि’ (बीमारी) के समान मानती हैं। उनके लिए योग-साधना उन लोगों के लिए है जिनका मन स्थिर नहीं है, जबकि उनका मन तो कृष्ण भक्ति में पूरी तरह से लीन है। उन्हें योग-साधना अरुचिकर और नीरस लगती है।

ख) ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर लिखिए कि कवि अपनी आत्मकथा में किन बातों का उल्लेख नहीं करना चाहता है?
‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर कवि अपनी आत्मकथा में अपनी दुर्बलताओं, दूसरों की छलनाओं, और निजी जीवन की उन बातों का उल्लेख नहीं करना चाहता जिनसे उसे पीड़ा मिली है। वह अपने प्रेम प्रसंगों और व्यक्तिगत दुखों को सार्वजनिक नहीं करना चाहता क्योंकि उसे लगता है कि ऐसा करने से वह दूसरों की हँसी का पात्र बन जाएगा और उसके जीवन की व्यथाएँ और गहरी हो जाएंगी।

ग) ‘राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है’- तर्कसहित उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
‘राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य देखने को मिलता है। लक्ष्मण परशुराम के क्रोध को अपनी वाक्पटुता से व्यंग्यात्मक रूप देते हैं। उदाहरण के लिए, जब परशुराम शिव धनुष के टूटने पर क्रोधित होते हैं, तो लक्ष्मण कहते हैं, “बहु धनुही तोरी लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं।।” (हमने बचपन में कई धनुष तोड़े हैं, पर आपने कभी ऐसा क्रोध नहीं किया)। यह कथन परशुराम के अनावश्यक क्रोध और शिव धनुष के प्रति उनके विशेष लगाव पर गहरा व्यंग्य करता है।

प्रश्न-11) पूरक पाठ्य-पुस्तक के निर्धारित पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए-

क) यात्राएँ विभिन्न संस्कृतियों से परिचित करवाने का अच्छा माध्यम हैं। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ यात्रा-वृत्तांत के आलोक में इस कथन की समीक्षा कीजिए।
‘साना-साना हाथ जोड़ि’ यात्रा-वृत्तांत इस कथन की पुष्टि करता है कि यात्राएँ विभिन्न संस्कृतियों से परिचित करवाने का उत्तम माध्यम हैं। लेखिका ने सिक्किम की यात्रा के दौरान वहाँ के लोगों, उनकी भाषा, वेशभूषा, धार्मिक मान्यताओं (जैसे प्रार्थना पताकाएँ), जीवन-शैली और प्रकृति के प्रति उनके सम्मान को करीब से अनुभव किया। गैंगटोक की पहाड़ी संस्कृति, मेहनतकश लोगों का जीवन और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य ने लेखिका को गहराई से प्रभावित किया। यह यात्रा उन्हें मानवीय मूल्यों और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने के महत्व को समझने में मदद करती है, जिससे वे एक नई संस्कृति और जीवन-दृष्टि से परिचित होती हैं।

ख) बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज़्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं। ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
‘माता का अँचल’ पाठ यह दर्शाता है कि बच्चे रोना-धोना, पीड़ा और आपसी झगड़े ज़्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते। उदाहरण के लिए, जब भोलानाथ और उसके साथी खेलते हुए किसी बात पर झगड़ते हैं, तो थोड़ी देर बाद ही वे सब कुछ भूलकर फिर से खेलने लगते हैं। साँप से डरने के बाद भोलानाथ भले ही अपनी माँ की गोद में छिप जाता है, लेकिन कुछ समय बाद वह फिर से अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए तैयार हो जाता है। उनकी मासूमियत और सहजता उन्हें दुख और नकारात्मकता से जल्दी बाहर निकाल देती है, जिससे वे वर्तमान में जीते हैं और खुश रहते हैं।

ग) नागरिकों की मेहनत के कारण ‘गंतोक’ मेहनतकश बादशाहों का शहर कहलाया। आपके विचार से मेहनतकश नागरिक अपने शहर और राष्ट्र की प्रगति में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं?
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ इसलिए कहा गया क्योंकि वहाँ के नागरिक, विशेष रूप से महिलाएँ, अत्यंत कठिन परिस्थितियों में पहाड़ों को काटकर, रास्ता बनाकर और पत्थर तोड़कर अपना जीवनयापन करती हैं। उनकी यह अथक मेहनत शहर के विकास और सुंदरता में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
मेरे विचार से मेहनतकश नागरिक अपने शहर और राष्ट्र की प्रगति में कई प्रकार से योगदान दे सकते हैं:

  1. ईमानदारी और लगन से काम करना: अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में ईमानदारी और पूरी लगन से काम करके वे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं।

  2. स्वच्छता और व्यवस्था बनाए रखना: अपने शहर और सार्वजनिक स्थानों को साफ-सुथरा रखकर तथा नियमों का पालन करके वे एक बेहतर नागरिक समाज का निर्माण करते हैं।

  3. शिक्षा और कौशल विकास: स्वयं शिक्षित होकर और अपने कौशल को बढ़ाकर वे उत्पादकता में वृद्धि करते हैं।

  4. सामुदायिक भावना: सामुदायिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेकर और सहयोग करके वे सामाजिक सद्भाव और प्रगति को बढ़ावा देते हैं।

  5. पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास करके वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करते हैं।
    संक्षेप में, मेहनतकश नागरिक अपने श्रम, समर्पण और नागरिक कर्तव्यों के पालन से राष्ट्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

खंड – घ
(रचनात्मक लेखन)

12. निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए:

(क) प्रदूषण की समस्या

प्रदूषण की समस्या: एक वैश्विक चुनौती

प्रदूषण आज मानव जाति और पृथ्वी के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों का मिलना है, जो जीव-जंतुओं और वनस्पति के लिए खतरा उत्पन्न करता है। प्रदूषण मुख्यतः कई प्रकार का होता है – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मृदा प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, उद्योगों और जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाले धुएँ के कारण होता है, जिससे साँस संबंधी बीमारियाँ जैसे अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है। जल प्रदूषण औद्योगिक कचरे, सीवेज और कृषि रसायनों के नदियों, झीलों और समुद्र में मिलने से होता है, जिससे जल जनित बीमारियाँ फैलती हैं और समुद्री जीवन नष्ट होता है। ध्वनि प्रदूषण शहरीकरण और परिवहन के कारण बढ़ता शोर है, जो तनाव, बहरापन और नींद की समस्याओं का कारण बनता है। मृदा प्रदूषण प्लास्टिक, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से होता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और खाद्य श्रृंखला प्रदूषित होती है।

प्रदूषण का जीवन और पृथ्वी पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान का मुख्य कारण है। मनुष्यों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ती हैं। इसकी रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हमें जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करना चाहिए और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, वृक्षारोपण, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान, और प्लास्टिक के उपयोग को कम करना इसके महत्वपूर्ण उपाय हैं। व्यक्तिगत स्तर पर भी हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा ताकि हम एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

(ख) मोबाइल फोन का प्रभाव

मोबाइल फोन: सुविधाएँ, दुष्परिणाम और सावधानियाँ

मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। यह संचार का सबसे सुलभ माध्यम है, जिसने दूरियों को कम कर दिया है। इसकी सुविधाओं में तात्कालिक संपर्क, इंटरनेट पहुँच, मल्टीमीडिया, कैमरा और विभिन्न एप्लिकेशन शामिल हैं, जो हमारे दैनिक जीवन को आसान बनाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी इसकी उपयोगिता बढ़ी है; छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, शोध सामग्री प्राप्त कर सकते हैं और ई-बुक्स पढ़ सकते हैं। यह आपातकालीन स्थितियों में भी अत्यंत सहायक सिद्ध होता है।

हालांकि, मोबाइल फोन के कई दुष्परिणाम भी हैं। इसका अत्यधिक उपयोग आँखों की रोशनी कम कर सकता है, नींद में खलल डाल सकता है और गर्दन व पीठ दर्द का कारण बन सकता है। सोशल मीडिया और गेमिंग की लत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद और एकाग्रता की कमी को जन्म दे सकती है। साइबरबुलिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी और निजता का उल्लंघन भी इसके नकारात्मक पहलू हैं। विद्यार्थियों में यह पढ़ाई से ध्यान भटका सकता है और उनके सामाजिक मेलजोल को कम कर सकता है।

मोबाइल फोन का प्रयोग करते समय कुछ सावधानियाँ बरतना आवश्यक है। स्क्रीन टाइम को सीमित करना, विशेषकर बच्चों के लिए, बहुत महत्वपूर्ण है। सोते समय फोन का उपयोग करने से बचना चाहिए। ऑनलाइन सामग्री की जाँच करनी चाहिए और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने में सतर्क रहना चाहिए। माता-पिता को बच्चों के फोन के उपयोग की निगरानी करनी चाहिए। संतुलित और जागरूक उपयोग से हम मोबाइल फोन के सकारात्मक लाभ उठा सकते हैं और उसके हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं।

(ग) समाचार-पत्रों का महत्त्व

समाचार-पत्रों का महत्त्व: सूचना, ज्ञान और जागरूक नागरिकता

समाचार-पत्र किसी भी समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। वे हमें देश-विदेश की खबरों से अवगत कराते हैं और सूचना तथा ज्ञान के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। यह हमें राजनीति, अर्थव्यवस्था, खेल, मनोरंजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्रदान करते हैं। समाचार-पत्रों में लेख, संपादकीय और विश्लेषण भी होते हैं जो हमें विभिन्न मुद्दों पर गहराई से सोचने और अपनी राय बनाने में मदद करते हैं।

समाचार-पत्र एक जागरूक नागरिक बनाने में सहायक होते हैं। वे सरकार की नीतियों की समीक्षा करते हैं, जनहित के मुद्दों को उजागर करते हैं और जनता की आवाज़ को मंच देते हैं। यह हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत करते हैं, जिससे हम एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज और देश के विकास में योगदान दे सकते हैं। वे हमें सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाने और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं।

विद्यार्थी जीवन में समाचार-पत्रों की उपयोगिता भी बहुत अधिक है। ये उनकी सामान्य ज्ञान को बढ़ाते हैं, उनकी भाषा कौशल को सुधारते हैं और उन्हें समसामयिक घटनाओं से परिचित कराते हैं। नियमित रूप से समाचार-पत्र पढ़ने से विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत विकसित होती है, शब्दावली बढ़ती है और उनकी लेखन क्षमता में भी सुधार होता है। यह उन्हें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार करता है। इस प्रकार, समाचार-पत्र केवल जानकारी का माध्यम नहीं, बल्कि शिक्षा, जागरूकता और सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली उपकरण हैं।

13. (क) आप नंदन/नंदिनी हैं। अपने क्षेत्र में आवारा जानवरों की समस्या के समाधान के लिए किसी लोकप्रिय समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण (या कोई अन्य लोकप्रिय समाचार-पत्र)
नई दिल्ली।

दिनांक: 26 अक्टूबर, 2024

विषय: क्षेत्र में आवारा जानवरों की बढ़ती समस्या के समाधान हेतु।

महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से अपने क्षेत्र (उदाहरण के लिए: लक्ष्मी नगर, दिल्ली) में आवारा जानवरों, विशेषकर कुत्तों और मवेशियों, की बढ़ती समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना चाहता/चाहती हूँ।

ये आवारा जानवर सड़कों पर घूमते रहते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। रात के समय इनके झुंड राहगीरों के लिए भय का कारण बनते हैं। कई बार ये लोगों को काट भी लेते हैं, जिससे गंभीर बीमारियाँ फैलने का डर रहता है। मवेशी कूड़ेदानों में मुँह मारते हैं, जिससे गंदगी और बीमारियाँ फैलती हैं।

मैं आपसे अनुरोध करता/करती हूँ कि इस गंभीर समस्या को अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों जैसे नगर निगम और पशु कल्याण विभागों को इस ओर ध्यान देने के लिए प्रेरित करें। आवारा पशुओं की नसबंदी, टीकाकरण और उनके लिए आश्रय स्थलों का निर्माण इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

सधन्यवाद।

भवदीय,
नंदन/नंदिनी
(आपका पता/संपर्क)

अथवा

(ख) आप आनंद/आनंदा हैं। आपके बड़े भाई मंचीय कवि हैं। उनके मंचीय प्रस्तुति की प्रशंसा समाचार पत्रों में छपी है। उनको बधाई देते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।

प्रिय भाई आनंद (या नाम),

प्रणाम!

मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी हुई कि तुम्हारी मंचीय प्रस्तुति की प्रशंसा विभिन्न समाचार पत्रों में छपी है। यह हमारे पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है। मैंने अखबार में तुम्हारे बारे में पढ़ा और तुम्हारी कविता पाठ की अद्भुत प्रस्तुति की सराहना की गई है।

मुझे हमेशा से पता था कि तुम्हारी काव्य प्रतिभा असाधारण है और तुम एक दिन अवश्य अपनी कला से दुनिया को मंत्रमुग्ध करोगे। तुम्हारी कड़ी मेहनत, समर्पण और जुनून आखिरकार रंग लाया है। यह तुम्हारी प्रतिभा का ही परिणाम है कि आज तुम्हारी इतनी प्रशंसा हो रही है।

मैं तुम्हें इस शानदार सफलता के लिए हार्दिक बधाई देता/देती हूँ। आशा है कि तुम इसी तरह आगे बढ़ते रहोगे और अपनी कविताओं से लोगों के दिलों को छूते रहोगे। भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएँ हमेशा तुम्हारे साथ हैं।

ढेर सारा प्यार।

तुम्हारा/तुम्हारी छोटा/छोटी भाई/बहन,
आनंद/आनंदा

14. (क) आप श्रेयांश/ श्रेया हैं। आपने पत्रकारिता में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। आपके शहर से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र में पत्रकारिता के लिए कुछ पद रिक्त हैं। उस पद के लिए आवेदन करने हेतु लगभग 80 शब्दों में अपना स्ववृत्त तैयार कीजिए।

स्ववृत्त (Resume)

नाम: श्रेयांश/श्रेया
पिता का नाम: (पिता का नाम)
जन्मतिथि: XX/XX/XXXX
पता: (आपका पता)
ई-मेल: youremail@example.com
मोबाइल: XXXXXXXXXX

शैक्षणिक योग्यता:

  • पत्रकारिता में स्नातक (B.A. in Journalism): दिल्ली विश्वविद्यालय (या अन्य विश्वविद्यालय), 2024, प्रथम श्रेणी।

  • सीनियर सेकेंडरी (कक्षा 12वीं): (बोर्ड का नाम), 2021।

  • सेकेंडरी (कक्षा 10वीं): (बोर्ड का नाम), 2019।

कार्य अनुभव:

  • कॉलेज पत्रिका में उप-संपादक के रूप में 1 वर्ष का अनुभव।

  • स्थानीय ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के लिए फ्रीलांस लेखन।

कौशल:

  • उत्कृष्ट लेखन और संपादन क्षमता।

  • हिंदी और अंग्रेजी पर अच्छी पकड़।

  • शोध और साक्षात्कार कौशल।

  • कंप्यूटर और इंटरनेट का अच्छा ज्ञान।

व्यक्तिगत विवरण:

  • आत्मविश्वासी, मेहनती और सीखने का इच्छुक।

  • टीम में काम करने की क्षमता।

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र में पत्रकारिता के पद के लिए आवेदन करता/करती हूँ और मुझे विश्वास है कि मैं इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हूँ।

अथवा

(ख) आप अंजनी/ अंजना हैं। आपके क्षेत्र में गंदा पानी फैला हुआ है। लोगों को बुखार भी हो रहा है। क्षेत्र की स्वच्छता हेतु नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को 80 शब्दों में ई-मेल लिखिए।

ई-मेल

प्रेषक: anjani.anjana@email.com (आपका ई-मेल पता)
प्रेषिती: healthofficer.nagar.nigam@email.com (स्वास्थ्य अधिकारी का ई-मेल पता)
विषय: क्षेत्र में गंदे पानी और बीमारी फैलने की समस्या के संबंध में।

माननीय स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,

मैं अंजनी/अंजना, (आपका क्षेत्र, उदाहरण के लिए: गांधी नगर) का निवासी हूँ। मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में व्याप्त अस्वच्छता की ओर आकर्षित करना चाहता/चाहती हूँ। पिछले कुछ दिनों से हमारे क्षेत्र में गंदा पानी फैल रहा है, जिससे कई लोग बुखार और अन्य जल जनित बीमारियों से पीड़ित हैं।

कूड़ेदानों का नियमित रूप से खाली न होना और नालियों की सफाई न होने से स्थिति बदतर हो गई है। आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस समस्या पर तुरंत ध्यान दिया जाए और उचित कार्यवाही की जाए। शीघ्र ही सफाई अभियान चलाया जाए तथा पीने के पानी की शुद्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि क्षेत्रवासियों को इस गंभीर समस्या से निजात मिल सके।

आपकी त्वरित कार्यवाही की अपेक्षा है।

धन्यवाद सहित,
अंजनी/अंजना
(आपका संपर्क नंबर)

15. (क) आपकी बड़ी बहन ने जिम केंद्र (व्यायामशाला) खोला है। जिम के प्रचार हेतु 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।

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अथवा

(ख) आपके शिक्षक/ शिक्षिका को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर शिक्षक पुरस्कार मिला है। उन्हें बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए |

बधाई संदेश

आदरणीय (शिक्षक/शिक्षिका का नाम) महोदय/महोदया,

आपको शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शिक्षक पुरस्कार मिलने पर हार्दिक बधाई। आपकी मेहनत, समर्पण और प्रेरणा ने हम सभी विद्यार्थियों के जीवन को उज्ज्वल बनाया है। आप वास्तव में इस सम्मान के हकदार हैं। हमें आप पर गर्व है। आपकी यह उपलब्धि हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।

शुभकामनाएँ!

आपका/आपकी छात्र/छात्रा,
(आपका नाम)

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