हाशियाकरण की समझ

Chapter 5: हाशियाकरण की समझ (Understanding Marginalization)

मुख्य बिंदु (Important Points Summary):

  • हाशियाकरण क्या है? (What is Marginalization?): हाशियाकरण का मतलब है किसी व्यक्ति या समूह को समाज के ‘किनारे’ या ‘हाशिये’ पर धकेल देना, जिससे वे चीज़ों के केंद्र में नहीं रहते। उन्हें संसाधनों, अवसरों और अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।

  • हाशियाकरण के कारण (Reasons for Marginalization):

    • भाषा और रीति-रिवाज में भिन्नता: अलग भाषा बोलना या अलग रीति-रिवाज अपनाना।

    • धार्मिक भिन्नता: बहुसंख्यक समुदाय से अलग धर्म का होना।

    • गरीबी और सामाजिक हैसियत: गरीब होना, सामाजिक रूप से ‘कमतर’ माना जाना।

    • वंचितता: संसाधनों और अवसरों तक पहुँच न होना।

  • आदिवासी कौन हैं? (Who are Adivasis?):

    • ‘आदिवासी’ का अर्थ है ‘मूल निवासी’। ये वे समुदाय हैं जो जंगलों के साथ रहते आए हैं।

    • ये भारत की आबादी का लगभग 8% हैं।

    • इनकी अपनी भाषाएँ और रीति-रिवाज होते हैं जो बहुसंख्यक समुदायों से भिन्न होते हैं।

    • ये प्रकृति और अपने पुरखों की पूजा करते हैं।

  • आदिवासियों का हाशियाकरण (Marginalization of Adivasis):

    • जंगलों से बेदखली: औपनिवेशिक काल से ही आदिवासियों को उनके जंगलों से, जो उनके जीवन का आधार थे, हटाया जा रहा है। खनन, औद्योगिक परियोजनाओं और बाँधों के लिए उनकी ज़मीनें छीनी गई हैं।

    • आजीविका का नुकसान: जंगलों से बिछड़ने के कारण वे अपनी पारंपरिक आजीविका और भोजन के स्रोतों से वंचित हो गए हैं।

    • शहरों की ओर पलायन: काम की तलाश में उन्हें शहरों में आना पड़ा जहाँ उन्हें कम वेतन वाली नौकरियाँ करनी पड़ती हैं।

    • गरीबी और कुपोषण: बड़ी संख्या में आदिवासी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे हैं और कुपोषण का शिकार हैं। साक्षरता दर भी कम है।

    • गलत छवियाँ: उन्हें अक्सर ‘रंग-बिरंगे’ और ‘पिछड़े’ के रूप में दिखाया जाता है, जिससे उनके जीवन की सच्चाइयों को कम समझा जाता है।

  • अल्पसंख्यक और हाशियाकरण (Minorities and Marginalization):

    • अल्पसंख्यक: वे समुदाय जो संख्या की दृष्टि से बाकी आबादी के मुकाबले कम हैं। यह सिर्फ संख्या का सवाल नहीं है, बल्कि सत्ता और संसाधनों तक पहुँच और सांस्कृतिक आयाम से भी जुड़ा है।

    • संवैधानिक सुरक्षाएँ: भारतीय संविधान धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करता है ताकि उन्हें भेदभाव, नुकसान और बहुसंख्यक समुदाय के वर्चस्व की आशंका से बचाया जा सके।

    • मुसलमानों का हाशियाकरण: 2011 की जनगणना के अनुसार, मुस्लिम आबादी भारत की जनसंख्या का 14.2% है। सच्चर समिति रिपोर्ट ने दिखाया कि मुसलमान सामाजिक-आर्थिक विकास के कई संकेतकों पर अन्य हाशियाई समुदायों जैसे अनुसूचित जाति और जनजाति के समान पीछे हैं।

    • ‘घेटोआइज़ेशन’ (Ghettoisation): मुसलमानों को अक्सर उनकी पहचान (बुर्का, दाढ़ी, टोपी) के कारण अलग नज़र से देखा जाता है, जिससे वे भेदभाव का शिकार होते हैं और कभी-कभी उन्हें अपने मूल इलाकों से हटकर अलग बस्तियों में रहना पड़ता है।

  • हाशियाकरण से मुकाबला (Combating Marginalization):

    • हाशियाई समुदायों का संघर्ष और प्रतिरोध का लंबा इतिहास रहा है।

    • वे अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता बनाए रखना चाहते हैं और साथ ही अधिकारों, विकास और अन्य अवसरों में बराबर का हिस्सा चाहते हैं।

    • संविधान द्वारा परिभाषित अधिकारों और कानूनों व नीतियों की रक्षा करना सभी की ज़िम्मेदारी है ताकि विविधता और समानता को सुनिश्चित किया जा सके।

  • हाशियाकरण का संबंध (Connection of Marginalization): आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हाशियाकरण आपस में जुड़े हुए हैं। एक दायरे में होने वाला विनाश दूसरे को भी प्रभावित करता है।


प्रश्न और उत्तर (Questions and Answers):

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions):

  1. हाशियाकरण का क्या अर्थ है?

    • उत्तर: हाशियाकरण का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह को समाज के केंद्र से हटाकर किनारे पर धकेल देना, जिससे वे संसाधनों, अवसरों और अधिकारों से वंचित हो जाते हैं।

  2. ‘आदिवासी’ शब्द का क्या मतलब है?

    • उत्तर: ‘आदिवासी’ शब्द का मतलब ‘मूल निवासी’ होता है, यानी वे समुदाय जो जंगलों में सदियों से रहते आए हैं।

  3. भारत की आबादी का कितना प्रतिशत आदिवासी हैं?

    • उत्तर: भारत की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत आदिवासी हैं।

  4. अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?

    • उत्तर: अल्पसंख्यक वे समुदाय होते हैं जो संख्या की दृष्टि से आबादी के मुकाबले कम होते हैं और जिन्हें सत्ता व संसाधनों तक पहुँच में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

  5. ‘घेटोआइज़ेशन’ क्या है?

    • उत्तर: ‘घेटोआइज़ेशन’ वह प्रक्रिया है जिसमें किसी एक समुदाय के लोग किसी एक खास इलाके या बस्ती में रहने लगते हैं, अक्सर भेदभाव या भय के कारण।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):

  1. आदिवासी लगातार हाशिये पर क्यों खिसकते जा रहे हैं? दो कारण बताइए।

    • उत्तर: आदिवासी लगातार हाशिये पर खिसकते जा रहे हैं इसके दो मुख्य कारण हैं:

      1. जंगलों और ज़मीनों से बेदखली: खनन, औद्योगिक परियोजनाओं और बाँधों के निर्माण के लिए उनकी पारंपरिक ज़मीनें और जंगल छीन लिए गए, जिससे उनकी आजीविका के मुख्य स्रोत खत्म हो गए।

      2. विकास का अभाव: उन्हें काम की तलाश में शहरों में आना पड़ा जहाँ उन्हें कम वेतन वाली नौकरियाँ मिलती हैं, जिससे वे गरीबी, कुपोषण और शिक्षा के अभाव का शिकार हो गए।

  2. आप अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षाओं को क्यों महत्त्वपूर्ण मानते हैं? इसका एक कारण बताइए।

    • उत्तर: हम अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षाओं को इसलिए महत्त्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि ये प्रावधान उन्हें भेदभाव, नुकसान और बहुसंख्यक समुदाय के वर्चस्व की आशंका से बचाते हैं। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने और समानता के सिद्धांतों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

  3. ‘मुसलमान एक हाशियाई समुदाय है’, इस बयान के समर्थन में दो तर्क दीजिए।

    • उत्तर: ‘मुसलमान एक हाशियाई समुदाय है’ इस बयान के समर्थन में दो तर्क निम्नलिखित हैं:

      1. सामाजिक-आर्थिक विकास के निम्न स्तर: सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मुसलमान बुनियादी सुविधाओं (जैसे पक्का घर, बिजली, नल का पानी), साक्षरता दर और सरकारी नौकरियों में अन्य समुदायों की तुलना में पीछे हैं।

      2. भेदभाव और ‘घेटोआइज़ेशन’: उनकी विशिष्ट पहचान (जैसे बुर्का, दाढ़ी) के कारण उन्हें अक्सर अलग नज़र से देखा जाता है और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे वे कभी-कभी अपने मूल इलाकों से हटकर अलग बस्तियों में रहने को मजबूर होते हैं।

  4. चित्रकथा-पट्ट में हेलेन होप आदिवासियों की कहानी पर एक फिल्म बनाना चाहती है। क्या आप आदिवासियों के बारे में एक कहानी बना कर उसकी मदद कर सकते हैं?

    • उत्तर: (यह एक रचनात्मक प्रश्न है, यहाँ एक उदाहरण दिया गया है।)

      • कहानी का विचार: एक छोटे आदिवासी गाँव की लड़की, ‘झरना’, जो अपने पुरखों की कहानियों और जंगल के औषधीय पौधों के ज्ञान को संजोए हुए है। जब एक बड़ी कंपनी जंगल काटने आती है, तो झरना और उसका गाँव अपनी परंपराओं और जंगल को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। झरना शहर जाती है, शिक्षा प्राप्त करती है, और अपने लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाती है, अंततः अपने समुदाय को न्याय दिलाने में सफल होती है, लेकिन इसके लिए उसे अपनी पारंपरिक दुनिया और आधुनिक दुनिया के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):

  1. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आर्थिक हाशियाकरण और सामाजिक हाशियाकरण आपस में जुड़े हुए हैं? क्यों?

    • उत्तर: हाँ, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि आर्थिक हाशियाकरण और सामाजिक हाशियाकरण आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। ये दोनों पहलू एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और एक चक्र बनाते हैं:

      • सामाजिक हाशियाकरण से आर्थिक अभाव: जब किसी समुदाय को सामाजिक रूप से हाशिये पर धकेल दिया जाता है (जैसे आदिवासियों को उनकी संस्कृति के कारण, या मुसलमानों को उनकी पहचान के कारण), तो उन्हें अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, अच्छी नौकरियों और संसाधनों तक पहुँच से वंचित कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, आदिवासियों को उनके जंगलों से बेदखल कर दिया गया, जिससे उनकी पारंपरिक आजीविका छीन गई और वे गरीब हो गए। मुसलमानों को भेदभाव के कारण अच्छी शिक्षा या नौकरी के अवसर मिलने में दिक्कतें आती हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से पिछड़े रह जाते हैं।

      • आर्थिक अभाव से सामाजिक स्थिति कमज़ोर: आर्थिक रूप से कमज़ोर होने पर हाशिये पर पड़े समुदाय समाज में अपनी आवाज़ उठाने में सक्षम नहीं होते। गरीबी उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं, कुपोषण और कम साक्षरता की ओर धकेलती है, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति और भी कमज़ोर हो जाती है। वे मुख्यधारा के समाज के सामने खुद को ‘कमतर’ महसूस करते हैं और अक्सर मजाक या पूर्वाग्रह का शिकार होते हैं। उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों को भी कम महत्त्व दिया जाता है।

      • एक का विनाश दूसरे को प्रभावित करता है: पाठ में बताया गया है कि आदिवासी जीवन के आर्थिक और सामाजिक आयाम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक दायरे में होने वाला विनाश दूसरे को भी प्रभावित करता है। यदि कोई समुदाय आर्थिक रूप से वंचित होता है, तो उनकी सामाजिक हैसियत भी प्रभावित होती है, और यदि वे सामाजिक रूप से हाशिये पर हैं, तो उनके आर्थिक अवसर कम हो जाते हैं।

    • संक्षेप में, सामाजिक भेदभाव आर्थिक अवसरों को सीमित करता है, और आर्थिक पिछड़ापन सामाजिक पूर्वाग्रहों को मजबूत करता है, जिससे हाशियाकरण का चक्र चलता रहता है।

  2. कल्पना कीजिए कि आप टेलीविजन पर 26 जनवरी की परेड देख रहे हैं। आपकी एक दोस्त आपके नज़दीक बैठी है। वह अचानक कहती है, “इन आदिवासियों को तो देखो, कितने रंग-बिरंगे हैं। लगता है सदा नाचते ही रहते हैं।” उसकी बात सुन कर आप भारत में आदिवासियों के जीवन से संबंधित क्या बातें उसको बताएँगे? उनमें से तीन बातें लिखें।

    • उत्तर: अगर मेरी दोस्त ऐसा कहती है, तो मैं उसे आदिवासियों के जीवन से संबंधित निम्नलिखित तीन महत्त्वपूर्ण बातें बताऊँगा:

      1. जीवन की विविधता और संघर्ष: मैं उसे बताऊँगा कि आदिवासियों का जीवन सिर्फ़ रंग-बिरंगे कपड़े पहनने और नाचने-गाने तक सीमित नहीं है। यह उनकी संस्कृति का एक हिस्सा ज़रूर है, लेकिन उनके जीवन में बहुत संघर्ष भी है। उन्हें अपनी ज़मीन, जंगल और आजीविका के लिए लगातार लड़ना पड़ता है। वे गरीबी, विस्थापन और भेदभाव का सामना करते हैं। यह रंग-बिरंगी छवि अक्सर उनकी वास्तविक मुश्किलों को छिपा देती है।

      2. मूल निवासी और जंगलों से जुड़ाव: मैं उसे समझाऊँगा कि आदिवासी भारत के ‘मूल निवासी’ हैं और वे सदियों से जंगलों के साथ रहते आए हैं। जंगल उनके लिए सिर्फ़ रहने की जगह नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति, देवी-देवताओं और आजीविका का स्रोत हैं। उनकी सारी पहचान और जीवनशैली जंगलों से जुड़ी है। जब उनसे जंगल छीन लिए जाते हैं, तो उनका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

      3. आधुनिक समाज में योगदान और अधिकार: मैं उसे यह भी बताऊँगा कि आदिवासी सिर्फ़ ‘पिछड़े’ लोग नहीं हैं, जैसा कि अक्सर माना जाता है। उन्होंने हमारे देश के विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, खासकर खनिज संसाधनों और श्रम के क्षेत्र में। उन्हें भी भारतीय नागरिक के रूप में समान अधिकार प्राप्त हैं – शिक्षा का, काम का, और अपनी संस्कृति व पहचान को बनाए रखने का। हमें उनकी समस्याओं को समझना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए, न कि केवल उनकी सतही छवि देखकर कोई राय बना लेनी चाहिए।

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