1857 की क्रांति

1857 की क्रांति

प्रमुख बिंदु, प्रश्न और उत्तर (कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान)

यह अध्याय 1857 के सिपाही विद्रोह और उसके बाद के घटनाक्रमों पर केंद्रित है, जिसे अक्सर भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • कंपनियों की नीतियां और जनता पर उनका प्रभाव: ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों ने राजाओं, रानियों, किसानों, जमींदारों, आदिवासियों और सिपाहियों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित किया। इन नीतियों में सहायक संधियाँ, राज्यों का अधिग्रहण (जैसे अवध), मुगल बादशाह के नाम को सिक्कों से हटाना और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले नियम शामिल थे।

  • नवाबों की छिनती सत्ता: 18वीं सदी के मध्य से राजाओं और नवाबों की शक्ति और सम्मान कम होने लगे। उनके दरबारों में रेजिडेंट तैनात कर दिए गए, सेना भंग कर दी गई और राजस्व वसूली के अधिकार छीन लिए गए। रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहेब जैसे शासकों ने कंपनी के साथ बातचीत की लेकिन उनकी मांगों को ठुकरा दिया गया।

  • किसान और सिपाही: गांवों में किसान और जमींदार भारी लगान और सख्त कर वसूली से परेशान थे, जिससे उनकी पैतृक जमीनें उनसे छिन रही थीं। कंपनी के भारतीय सिपाही अपने वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों से असंतुष्ट थे। समुद्र पार जाने के आदेशों और नए कारतूसों पर गाय व सुअर की चर्बी की अफवाहों ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई, जिससे उनमें असंतोष बढ़ा।

  • सुधारों पर प्रतिक्रिया: अंग्रेजों ने भारतीय समाज में सुधार के नाम पर सती प्रथा रोकने, विधवा विवाह को बढ़ावा देने और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने जैसे कदम उठाए। ईसाई मिशनरियों को भी छूट दी गई और 1850 के एक कानून ने ईसाई धर्म अपनाने को आसान बना दिया। बहुत से भारतीयों को लगा कि अंग्रेज उनका धर्म और जीवनशैली नष्ट कर रहे हैं।

  • खुर्दा संग्राम (एक केस स्टडी): 1857 से पहले 1817 में ओडिशा के खुर्दा में भी अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह हुआ था। राजस्व नीतियों, नमक पर एकाधिकार और स्थानीय जमींदारियों की नीलामी ने लोगों में असंतोष फैलाया। बक्सी जगबंधु के नेतृत्व में यह विद्रोह फैला, जिसे अंग्रेजों ने बाद में दबा दिया।

  • मेरठ से दिल्ली तक विद्रोह: 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फाँसी दिए जाने के बाद, 9 मई को मेरठ में नए कारतूसों के इस्तेमाल से इनकार करने वाले सिपाहियों को नौकरी से निकाल कर 10 साल की सज़ा दी गई। इसके जवाब में 10 मई को दूसरे सिपाहियों ने विद्रोह कर जेल पर धावा बोल दिया, अंग्रेज अधिकारियों पर हमला किया, और बहादुर शाह ज़फ़र को अपना नेता घोषित करने के लिए दिल्ली चले गए।

  • विद्रोह का फैलना: दिल्ली पर कब्जा होने के बाद विद्रोह तेजी से फैला। कानपुर में नाना साहेब, लखनऊ में बेगम हजरत महल, झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई, और बिहार में कुँवर सिंह जैसे नेताओं ने विद्रोह का नेतृत्व किया।

  • कंपनी का पलटवार: अंग्रेजों ने इंग्लैंड से और सेनाएं मंगवाकर विद्रोह को कुचलने का फैसला लिया। सितंबर 1857 में दिल्ली पर दोबारा कब्जा कर लिया गया। बहादुर शाह ज़फ़र पर मुकदमा चलाकर उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा दी गई और उनके बेटों को मार दिया गया।

  • विद्रोह के बाद के साल (1858 के बदलाव):

    • ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया और ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सत्ता आ गई। भारत मंत्री का पद सृजित किया गया।

    • सभी शासकों को रियासतों को अपने वंशजों को सौंपने की छूट दी गई, लेकिन उन्हें ब्रिटेन की रानी का अधिपति स्वीकार करना था।

    • भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम कर यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाई गई। गोरखा, सिखों और पठानों में से ज्यादा सिपाही भर्ती किए गए।

    • मुसलमानों की जमीनें जब्त की गईं और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा गया।

    • लोगों के धर्म और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का फैसला किया गया।

    • भूस्वामियों और जमींदारों के अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियां बनाई गईं।


महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (आसान हिंदी में):

छोटे प्रश्न:

  1. प्रश्न: 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण क्या थे?
    उत्तर: कंपनी की नीतियां जिन्होंने राजाओं, किसानों और सिपाहियों को नाराज किया; नए कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी की अफवाह; और अंग्रेजों द्वारा भारतीय धर्म और परंपराओं में हस्तक्षेप का डर।

  2. प्रश्न: मंगल पांडे कौन थे और उन्हें क्यों फाँसी दी गई?
    उत्तर: मंगल पांडे एक सिपाही थे। उन्हें बैरकपुर में अपने अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में 8 अप्रैल 1857 को फाँसी दी गई थी।

  3. प्रश्न: बहादुर शाह ज़फ़र ने 1857 के विद्रोह में क्या भूमिका निभाई?
    उत्तर: बहादुर शाह ज़फ़र को सिपाहियों ने अपना नेता घोषित किया। उन्होंने भारतीय राज्यों के मुखियाओं को अंग्रेज़ों के खिलाफ एक संघ बनाने के लिए चिट्ठियाँ लिखीं।

  4. प्रश्न: 1857 के बाद अंग्रेजों ने कौन सा सबसे महत्वपूर्ण बदलाव किया?
    उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन खत्म कर दिया गया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन (ब्रिटिश सरकार) के हाथों में आ गया।

  5. प्रश्न: “फिरंगी” शब्द का क्या अर्थ है?
    उत्तर: “फिरंगी” का अर्थ है विदेशी, और इस शब्द में अपमान का भाव छिपा होता था।

मध्यम प्रश्न:

  1. प्रश्न: नवाबों और राजाओं की शक्ति 18वीं सदी के मध्य से कैसे कम होने लगी थी?
    उत्तर: अंग्रेजों ने कई राज्यों पर सहायक संधियाँ थोप दीं, जिससे उनकी स्वतंत्रता घट गई। दरबारों में रेजिडेंट तैनात किए गए, स्थानीय शासकों की सेनाएं भंग कर दी गईं, और उनके राजस्व वसूली के अधिकार व इलाके एक-एक करके छीने जाने लगे। उदाहरण के लिए, अवध को “कुशासन” का आरोप लगाकर 1856 में मिला लिया गया।

  2. प्रश्न: किसानों और सिपाहियों में असंतोष के क्या कारण थे?
    उत्तर: किसानों में: भारी लगान और सख्त कर वसूली से वे अपनी पैतृक जमीनें खो रहे थे।
    सिपाहियों में: कम वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों से वे परेशान थे। समुद्र पार जाने के आदेशों से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। नए कारतूसों पर गाय व सुअर की चर्बी की अफवाह ने इस असंतोष को और बढ़ा दिया।

  3. प्रश्न: अंग्रेजों ने भारतीय समाज में सुधार के नाम पर कौन से कदम उठाए और भारतीयों ने उनकी क्या प्रतिक्रिया दी?
    उत्तर: अंग्रेजों ने सती प्रथा रोकने, विधवा विवाह को बढ़ावा देने, और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहित करने जैसे कदम उठाए। उन्होंने ईसाई मिशनरियों को भी छूट दी। बहुत से भारतीयों को लगा कि अंग्रेज उनके धर्म, सामाजिक रीति-रिवाजों और पारंपरिक जीवनशैली को नष्ट कर रहे हैं। हालांकि, कुछ भारतीय मौजूदा सामाजिक व्यवस्था में बदलाव भी चाहते थे।

  4. प्रश्न: 1857 के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सेना में क्या बदलाव किए?
    उत्तर: भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम कर दिया गया और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाई गई। अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने की बजाय अब गोरखा, सिखों और पठानों में से ज्यादा सिपाही भर्ती किए जाने लगे।

  5. प्रश्न: खुर्दा संग्राम, 1857 के विद्रोह से पहले की एक महत्वपूर्ण घटना कैसे थी?
    उत्तर: खुर्दा संग्राम (1817) ने दिखाया कि कैसे अंग्रेजों की नीतियों – विशेषकर राजस्व नीतियों, नमक पर एकाधिकार और स्थानीय जमींदारियों की नीलामी – ने स्थानीय लोगों में व्यापक असंतोष पैदा किया। बक्सी जगबंधु जैसे नेताओं के नेतृत्व में हुए इस सशस्त्र संघर्ष ने अंग्रेजों के खिलाफ शुरुआती जनविरोध की मिसाल पेश की, जो बाद में 1857 जैसे बड़े विद्रोहों का आधार बनी।

दीर्घ प्रश्न:

  1. प्रश्न: 1857 के विद्रोह के तात्कालिक और दीर्घकालिक परिणामों का विस्तृत वर्णन करें।
    उत्तर:
    तात्कालिक परिणाम:

    • कंपनी शासन का अंत: ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया।

    • सत्ता का हस्तांतरण: ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित कर भारत के शासन की जिम्मेदारी सीधे ले ली। भारत मंत्री और इंडिया काउंसिल जैसे नए पद बनाए गए।

    • मुगल सत्ता का अंत: बहादुर शाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया गया और मुगल साम्राज्य का नामोनिशान मिट गया।

    • विद्रोही नेताओं का दमन: रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब और अन्य विद्रोही नेताओं को कुचल दिया गया या उन्हें मार दिया गया।

    • सेना का पुनर्गठन: भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम किया गया और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाई गई। गोरखा, सिख और पठान जैसे समूहों को प्राथमिकता दी गई।

    दीर्घकालिक परिणाम:

    • रियासतों के प्रति नीति में बदलाव: शासकों को अपने वंशजों को गोद लेने की छूट दी गई, लेकिन उन्हें ब्रिटिश क्राउन की सर्वोच्चता स्वीकार करनी पड़ी। भविष्य में किसी भी भूभाग को हड़पने की नीति बंद कर दी गई।

    • धार्मिक और सामाजिक नीतियों का सम्मान: अंग्रेजों ने भारतीय लोगों के धर्म और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का फैसला किया, जिससे सांस्कृतिक हस्तक्षेप कम हुआ।

    • भूस्वामियों के अधिकार: भूस्वामियों और जमींदारों के अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियां बनाई गईं, जिससे कुछ वफादार वर्गों को शांत किया जा सके।

    • राष्ट्रीयता का उदय: विद्रोह ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होने की भावना को मजबूत किया, जिससे आगे चलकर राष्ट्रीय आंदोलन को बल मिला।

    • अंग्रेजों का भारत के प्रति दृष्टिकोण: अंग्रेजों ने मुसलमानों को विद्रोह का मुख्य दोषी माना और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा, उनकी जमीनें जब्त की गईं।

  2. प्रश्न: 1857 के विद्रोह में विभिन्न सामाजिक समूहों, जैसे राजाओं, किसानों और सिपाहियों ने क्यों भाग लिया?
    उत्तर:

    • राजा और नवाब: उनकी सत्ता और सम्मान अंग्रेजों द्वारा छीन लिए जा रहे थे। सहायक संधियाँ, राज्यों का अधिग्रहण (जैसे अवध और झाँसी), और मुग़ल बादशाह के प्रतीकात्मक महत्व को कम करना उन्हें पसंद नहीं था। वे अपनी खोई हुई शक्ति और स्वायत्तता वापस चाहते थे। रानी लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र को वारिस न मानने और नाना साहेब अपनी पेंशन रोके जाने से असंतुष्ट थे।

    • किसान और जमींदार: वे भारी लगान और कर वसूली के सख्त तरीकों से बुरी तरह परेशान थे। अंग्रेजों की नीतियों के कारण उनकी पैतृक जमीनें उनसे छिन रही थीं, जिससे उन्हें गरीबी और बेदखली का सामना करना पड़ रहा था। वे महाजनों के कर्ज में डूबे हुए थे और कंपनी के राजस्व अधिकारियों के अत्याचारों से तंग आ चुके थे।

    • सिपाही: भारतीय सिपाही कंपनी की सेवा शर्तों, वेतन और भत्तों से असंतुष्ट थे। उनके लिए समुद्र पार जाकर लड़ने का आदेश उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ था, क्योंकि वे इसे अपना धर्म भ्रष्ट होना मानते थे। सबसे बढ़कर, नए राइफल कारतूसों पर गाय और सुअर की चर्बी की अफवाह ने उनकी धार्मिक भावनाओं को गहराई से ठेस पहुंचाई, जिससे वे भड़क उठे। चूंकि बहुत से सिपाही ग्रामीण पृष्ठभूमि से थे और किसान परिवार से आते थे, इसलिए किसानों का गुस्सा भी उनमें फैल गया।

    • अन्य समूह: आदिवासी, कारीगर और अन्य आम लोग भी ब्रिटिश नीतियों से प्रभावित थे। वन कानूनों ने आदिवासियों के जीवन को प्रभावित किया, जबकि ब्रिटिश वस्तुओं के आने से स्थानीय कारीगरों का काम छिन गया। इन सभी ने मिलकर विद्रोह में भाग लिया।


सीबीएसई के महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (कक्षा 8):

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक):

  1. प्रश्न: रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से क्या मांग कर रही थीं?
    उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई चाहती थीं कि कंपनी उनके पति की मृत्यु के बाद उनके गोद लिए हुए बेटे को राजा मान ले।

  2. प्रश्न: बहादुर शाह ज़फ़र को कहाँ भेज दिया गया था?
    उत्तर: उन्हें रंगून जेल भेज दिया गया था।

  3. प्रश्न: 1858 के बाद भारत का शासन किसने संभाला?
    उत्तर: ब्रिटिश सरकार (ब्रिटिश क्राउन)।

  4. प्रश्न: ताँत्या टोपे कौन थे?
    उत्तर: ताँत्या टोपे नाना साहेब के सेनापति थे।

  5. प्रश्न: 1857 के विद्रोह की शुरुआत कहाँ से हुई थी?
    उत्तर: मेरठ।

लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक):

  1. प्रश्न: 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों के प्रति क्या दृष्टिकोण अपनाया और क्यों?
    उत्तर: 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों को संदेह और शत्रुता की भावना से देखा। उन्हें लगता था कि विद्रोह मुसलमानों ने ही भड़काया था। इसलिए, उनकी जमीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर जब्त की गईं।

  2. प्रश्न: सिपाही नए कारतूसों पर क्यों ऐतराज़ कर रहे थे?
    उत्तर: सिपाहियों को यह अफवाह थी कि नए कारतूसों पर गाय और सुअर की चर्बी का लेप चढ़ा हुआ था। गाय हिंदुओं के लिए पवित्र है और सुअर मुसलमानों के लिए वर्जित है। इसलिए, इन कारतूसों के इस्तेमाल से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही थीं और उन्हें लगा कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट करना चाहते हैं।

  3. प्रश्न: अवध के विलय का 1857 के विद्रोह पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तर: अवध को 1856 में ‘कुशासन’ का आरोप लगाकर अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया था। इससे अवध के नवाब, जमींदार, किसान और सिपाही सभी नाराज थे, क्योंकि यह एक प्रमुख रियासत थी। अवध के विलय ने सिपाहियों और अन्य लोगों के बीच अंग्रेजों के प्रति अविश्वास और गुस्से को बहुत बढ़ा दिया, जिससे विद्रोह को और अधिक बल मिला।

  4. प्रश्न: खुर्दा संग्राम (1817) में बक्सी जगबंधु की भूमिका स्पष्ट करें।
    उत्तर: बक्सी जगबंधु खुर्दा के विस्थापित राजा के वंशानुगत सेनानायक थे। अंग्रेजों की नीतियों के कारण वे स्वयं एक बेदखल जमींदार बन गए थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने का निश्चय किया और लोगों को संगठित किया। उन्होंने पाइकों और कंध जनजाति के योद्धाओं का नेतृत्व किया और पुरी पर कब्जा करने में सफल रहे, जिससे यह संग्राम अंग्रेजों के खिलाफ शुरुआती जनविरोध का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक):

  1. प्रश्न: 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने भारतीय प्रशासन और नीतियों में क्या बड़े बदलाव किए?
    उत्तर: 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीय प्रशासन और नीतियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए:

    • ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त: भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया। ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित कर यह बदलाव किया।

    • भारत मंत्री का पद सृजित: ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक ‘भारत मंत्री’ का पद बनाया गया, जिसे भारत के शासन से संबंधित मामलों को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उसकी सहायता के लिए ‘इंडिया काउंसिल’ का गठन किया गया।

    • वायसराय का पद: भारत के गवर्नर-जनरल को ‘वायसराय’ का ओहदा दिया गया, जो सीधे ब्रिटेन के राजा/रानी का निजी प्रतिनिधि होता था।

    • रियासतों के प्रति नीति में बदलाव: सभी शासकों को आश्वासन दिया गया कि भविष्य में उनके भूक्षेत्रों पर कब्जा नहीं किया जाएगा। उन्हें अपनी रियासतों को अपने वंशजों (दत्तक पुत्रों सहित) को सौंपने की छूट दी गई, लेकिन उन्हें ब्रिटेन की रानी का अधिपति स्वीकार करना पड़ा।

    • सेना का पुनर्गठन: भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम किया गया और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाई गई। गोरखा, सिख और पठान जैसे ‘मार्शल रेस’ से सिपाहियों की भर्ती को प्राथमिकता दी गई।

    • धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान: अंग्रेजों ने भारत के लोगों के धर्म और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का फैसला किया।

    • भूस्वामियों के अधिकारों का संरक्षण: भूस्वामियों और जमींदारों की रक्षा करने तथा जमीन पर उनके अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियां बनाई गईं।

    • मुसलमानों के प्रति दृष्टिकोण: मुसलमानों को विद्रोह का मुख्य कारण माना गया और उन्हें संदेह व शत्रुता की भावना से देखा गया, उनकी जमीनें जब्त की गईं।

ये बदलाव भारतीय इतिहास में एक नए चरण की शुरुआत थे और ब्रिटिश राज की नींव को मजबूत करने के लिए डिजाइन किए गए थे।


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