अध्याय 3: संसद तथा कानूनों का निर्माण
मुख्य बिंदु:
लोकतंत्र में जनता की भूमिका: भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ जनता निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करती है और सरकार को नियंत्रित करती है।
संसद का महत्व: संसद भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से मिलकर बनती है और सरकार को नियंत्रित तथा मार्गदर्शन करती है।
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार: देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार है।
सरकार का चुनाव: लोकसभा चुनावों के बाद, जिस राजनीतिक दल को बहुमत मिलता है, वह सरकार बनाता है। प्रधानमंत्री सत्ताधारी दल का मुखिया होता है।
राज्यसभा की भूमिका: राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है और कानून बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें लोकसभा द्वारा पारित कानूनों की समीक्षा करना शामिल है।
सरकार को नियंत्रित करना: संसद का सत्र चलने के दौरान प्रश्नकाल एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसके माध्यम से सांसद सरकार के कामकाज के बारे में जानकारी हासिल करते हैं और उसे नियंत्रित करते हैं।
कानून बनाने की प्रक्रिया: कानून बनाने में संसद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह प्रक्रिया समाज के विभिन्न समूहों की आवाज़ उठाने से शुरू होती है और संसद लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर कानून बनाती है।
अलोकप्रिय और विवादास्पद कानून: कभी-कभी संसद ऐसे कानून पारित कर देती है जो लोगों को अलोकप्रिय लगते हैं। ऐसे में लोग उसकी आलोचना कर सकते हैं, जनसभाएँ कर सकते हैं, और अदालत की शरण ले सकते हैं। यदि अदालत को लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, तो वह उसमें संशोधन या उसे रद्द कर सकती है।
प्रश्न-उत्तर (आसान हिंदी में):
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का मतलब है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों (बिना किसी भेदभाव के) को वोट देने का अधिकार है।
संसद में प्रश्नकाल क्या होता है?
उत्तर: प्रश्नकाल संसद का वह समय होता है जब सांसद सरकार के कामकाज के बारे में सवाल पूछते हैं और जानकारी हासिल करते हैं।
लोकसभा में बहुमत के लिए कितने सदस्यों की आवश्यकता होती है?
उत्तर: लोकसभा में कुल 543 सदस्य होते हैं, इसलिए सरकार बनाने के लिए कम से कम 272 सदस्यों का बहुमत आवश्यक है।
विपक्षी दल किसे कहते हैं?
उत्तर: संसद में वह राजनीतिक दल या गठबंधन जो सरकार बनाने वाले दल का हिस्सा नहीं होता, उसे विपक्षी दल कहते हैं।
मध्यम उत्तरीय प्रश्न (Medium Answer Questions):
लोकतंत्र में संसद की क्या भूमिका है?
उत्तर: संसद भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से मिलकर बनती है। संसद सरकार को नियंत्रित करती है, उसका मार्गदर्शन करती है और कानून बनाने का काम करती है। इस तरह, संसद यह सुनिश्चित करती है कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह रहे।
राज्यसभा की मुख्य भूमिकाएँ क्या हैं?
उत्तर: राज्यसभा मुख्य रूप से देश के राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है। यह कानून बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है और किसी भी विधेयक को कानून बनने से पहले इसकी मंजूरी मिलना ज़रूरी है। राज्यसभा लोकसभा द्वारा पारित कानूनों की समीक्षा भी करती है और ज़रूरत पड़ने पर उनमें संशोधन कर सकती है।
कानून बनाने की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी कैसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर: कानून बनाने की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। लोग अपनी समस्याओं और ज़रूरतों को लेकर आवाज़ उठाते हैं, जिससे संसद उन पर ध्यान देती है। अख़बार, टेलीविज़न, रेडियो और जनसभाओं के ज़रिए जनता अपनी राय व्यक्त करती है, जिससे संसद का काम पारदर्शी तरीके से होता है और वह लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कानून बनाती है।
“अलोकप्रिय और विवादास्पद कानून” क्या होते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर: अलोकप्रिय और विवादास्पद कानून वे होते हैं जो संवैधानिक रूप से वैध तो हो सकते हैं, लेकिन लोग उन्हें गलत मानते हैं या उनसे असहमत होते हैं। ऐसे कानून अक्सर आबादी के कुछ हिस्सों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। उदाहरण के लिए, पटरी पर दुकान लगाने और फेरी लगाने को गैरकानूनी घोषित करने वाले नगरपालिका कानून अलोकप्रिय हो सकते हैं, क्योंकि वे लाखों लोगों की आजीविका पर असर डालते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा पर कानून बनने की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर: घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा पर कानून बनने की प्रक्रिया एक लंबा संघर्ष था। 1990 के दशक में, कई महिला संगठनों ने घरेलू हिंसा के खिलाफ एक नए कानून की मांग उठाई। उन्होंने बताया कि मौजूदा फौजदारी कानूनों में महिलाओं को मारपीट या घर से निकाले जाने पर पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल पाती थी।
वकीलों और समाज वैज्ञानिकों के संगठन ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने 1999 में एक मसौदा तैयार किया, जिसमें शारीरिक, आर्थिक, यौन और मौखिक दुर्व्यवहार को घरेलू हिंसा में शामिल किया गया।
कई विचार-विमर्श के बाद, 2002 में यह विधेयक संसद में पेश किया गया, लेकिन महिला संगठनों ने इसका विरोध किया क्योंकि इसमें उनकी मुख्य मांगों को शामिल नहीं किया गया था।
महिला संगठनों और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसदीय स्थायी समिति को अपने सुझाव दिए, जिसने उनकी कई मांगों को स्वीकार किया।
अंततः, 2005 में संसद में एक नया विधेयक पेश किया गया, जिसे दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। इस तरह, 2006 में ‘घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून’ लागू हुआ, जिसने महिलाओं को हिंसा से मुक्त परिवार और साझे मकान में रहने का अधिकार दिया।
आप एक नागरिक के रूप में सरकार पर नियंत्रण और मार्गदर्शन में कैसे भूमिका निभा सकते हैं?
उत्तर: एक नागरिक के रूप में, हम सरकार पर नियंत्रण और मार्गदर्शन में कई तरह से भूमिका निभा सकते हैं:
मतदान: हम अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके सरकार बनाते हैं और उन्हें अपनी ओर से निर्णय लेने का अधिकार देते हैं।
मीडिया के माध्यम से: हम अख़बारों, टेलीविज़न और सोशल मीडिया के ज़रिए सांसदों के कामकाज पर नज़र रखते हैं। यदि हमें लगता है कि वे सही काम नहीं कर रहे हैं, तो हम उनकी आलोचना कर सकते हैं।
विरोध प्रदर्शन और जनसभाएं: अलोकप्रिय कानूनों या सरकारी नीतियों का विरोध करने के लिए हम जनसभाएं, रैलियां और प्रदर्शन कर सकते हैं, जिससे सरकार पर दबाव बनता है।
याचिकाएं और सुझाव: हम विभिन्न संगठनों के माध्यम से सरकार को याचिकाएं भेज सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं, जिससे हमारी चिंताओं को सुना जा सके।
कानूनी सहारा: यदि कोई कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो हम अदालत की शरण ले सकते हैं ताकि उस कानून में संशोधन या उसे रद्द किया जा सके।
जितनी अधिक जनता की भागीदारी और उत्साह होगा, संसद अपना काम उतनी ही ईमानदारी से करेगी।