अध्याय 2: धर्मनिरपेक्षता की समझ – सारांश और प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण बिंदु:
धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्म और राज्य की शक्ति को एक-दूसरे से अलग रखने की अवधारणा को धर्मनिरपेक्षता कहते हैं।
धर्म को राज्य से अलग रखना क्यों महत्वपूर्ण है?
बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यकों पर किसी भी तरह के भेदभाव या उत्पीड़न को रोकना।
सभी नागरिकों को अपने धार्मिक चुनाव की स्वतंत्रता देना (किसी भी धर्म को मानने, न मानने या उसकी व्याख्या करने की स्वतंत्रता)।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता के उद्देश्य:
कोई एक धार्मिक समुदाय दूसरे धार्मिक समुदाय को न दबाए।
कुछ लोग अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को न दबाएँ।
राज्य न तो किसी खास धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनेगा।
भारतीय राज्य धर्मनिरपेक्षता के लिए कैसे काम करता है?
खुद को धर्म से दूर रखता है: सरकारी संस्थान किसी खास धर्म को बढ़ावा नहीं देते।
अहस्तक्षेप की नीति: सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए राज्य कुछ धार्मिक समुदायों को विशेष छूट देता है (जैसे सिखों को हेलमेट से छूट)।
हस्तक्षेप की नीति: संविधान के आदर्शों के आधार पर राज्य धर्म के मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है (जैसे छुआछूत पर पाबंदी)।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता और अमेरिकी धर्मनिरपेक्षता में अंतर:
अमेरिकी धर्मनिरपेक्षता: धर्म और राज्य के बीच स्पष्ट अलगाव, दोनों एक-दूसरे के मामलों में दखल नहीं दे सकते।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता: राज्य धर्म से सैद्धांतिक दूरी रखता है, लेकिन संविधान के सिद्धांतों के अनुसार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है।
प्रश्नोत्तर (आसान हिंदी में):
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
धर्मनिरपेक्षता क्या है?
उत्तर: धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि सरकार और धर्म एक-दूसरे से अलग रहेंगे। सरकार किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देगी और सभी धर्मों का सम्मान करेगी।
धर्म को राज्य से अलग रखना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर: धर्म को राज्य से अलग रखना इसलिए ज़रूरी है ताकि कोई एक धर्म दूसरों पर हावी न हो सके और सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म को मानने या न मानने की आज़ादी मिल सके।
भारतीय संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्ष राज्य के तीन मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर: तीन उद्देश्य हैं:
कोई एक धर्म दूसरे धर्म के लोगों को न दबाए।
एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ।
सरकार किसी खास धर्म को बढ़ावा न दे और न ही लोगों की धार्मिक आज़ादी छीने।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता में ‘अहस्तक्षेप’ का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दें।
उत्तर: अहस्तक्षेप का मतलब है कि राज्य सभी धर्मों का सम्मान करने के लिए कुछ धार्मिक रिवाज़ों में दखल नहीं देता। जैसे, सिख धर्म के लोगों को पगड़ी पहनने के कारण हेलमेट पहनने से छूट दी गई है।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता में ‘हस्तक्षेप’ का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दें।
उत्तर: हस्तक्षेप का मतलब है कि राज्य संविधान के नियमों के आधार पर धर्म के मामलों में दखल दे सकता है। जैसे, छुआछूत (अछूत) की प्रथा को खत्म करने के लिए सरकार ने कानून बनाया।
मध्यम उत्तरीय प्रश्न (Medium Answer Questions):
भारतीय धर्मनिरपेक्षता और अमेरिकी धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?
उत्तर: अमेरिकी धर्मनिरपेक्षता में सरकार और धर्म पूरी तरह से अलग रहते हैं, वे एक-दूसरे के मामलों में बिलकुल दखल नहीं दे सकते।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता में सरकार धर्म से दूर तो रहती है, लेकिन अगर ज़रूरी हो तो संविधान के सिद्धांतों के हिसाब से धर्म के मामलों में दखल दे सकती है, जैसे भेदभाव रोकने के लिए।
आपको क्यों लगता है कि किसी लोकतांत्रिक देश में धर्म को राज्य से अलग रखना ज़रूरी है?
उत्तर: लोकतांत्रिक देश में कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। अगर धर्म और राज्य अलग नहीं होंगे, तो जिस धर्म के लोगों की संख्या ज़्यादा है, वे सरकार की ताकत का इस्तेमाल करके दूसरे धर्म के लोगों के साथ भेदभाव कर सकते हैं। इससे उनकी आज़ादी छिन जाएगी। धर्म को अलग रखने से सभी को बराबर सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता मिलती है।
सरकारी स्कूल किसी धार्मिक त्योहार का आयोजन क्यों नहीं कर सकते?
उत्तर: सरकारी स्कूल सरकार द्वारा चलाए जाते हैं और भारतीय संविधान के अनुसार सरकार को किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर सरकारी स्कूल किसी एक धार्मिक त्योहार का आयोजन करेंगे, तो यह सभी धर्मों के प्रति समानता के नियम के खिलाफ होगा। निजी स्कूल ऐसा कर सकते हैं क्योंकि वे सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं होते।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। इस कथन की व्याख्या भारतीय संदर्भ में करें, जिसमें राज्य द्वारा अपनाई गई विभिन्न रणनीतियों का उल्लेख हो।
उत्तर: भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जिसका मतलब है कि भारतीय राज्य किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देता और सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करता है। इसे हासिल करने के लिए भारतीय राज्य कई तरह की रणनीतियाँ अपनाता है:
धर्म से दूरी: भारतीय राज्य खुद को धर्म से दूर रखता है। इसका मतलब है कि सरकारी दफ्तर, स्कूल या पुलिस थाने जैसे सरकारी संस्थानों में किसी खास धर्म को बढ़ावा नहीं दिया जाता। उदाहरण के लिए, सरकारी स्कूल कोई धार्मिक त्योहार नहीं मना सकते।
अहस्तक्षेप की नीति: राज्य सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए कुछ धार्मिक रिवाज़ों में दखल नहीं देता। जैसे, सिख धर्म के लोगों को पगड़ी पहनने की वजह से हेलमेट पहनने के कानून से छूट मिलती है। यह उनके धार्मिक रीति-रिवाजों का सम्मान है।
हस्तक्षेप की नीति: कभी-कभी राज्य संविधान में दिए गए आदर्शों को बनाए रखने के लिए धर्म के मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है। इसका उद्देश्य भेदभाव और असमानता को रोकना है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण छुआछूत की प्रथा को खत्म करना है। हिंदुओं के भीतर कुछ लोग निचली जातियों के साथ भेदभाव करते थे, जिसे रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाया।
इन रणनीतियों के माध्यम से भारतीय राज्य यह सुनिश्चित करता है कि कोई एक धार्मिक समुदाय दूसरों को न दबाए, और न ही किसी धर्म के लोग अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को दबाएँ। साथ ही, यह सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है।click here for More Notes for CBSE VIIIth Class- Click