अध्याय 3: कृषि
मुख्य बिंदु:
कृषि (Agriculture): मिट्टी की जुताई, फसलें उगाना, पशुपालन और विज्ञान तथा कला का मिश्रण। इसे खेती भी कहा जाता है।
आर्थिक क्रियाएँ:
प्राथमिक क्रियाएँ: प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन और निष्कर्षण से संबंधित (जैसे कृषि, मत्स्यन, संग्रहण)।
द्वितीयक क्रियाएँ: इन संसाधनों के प्रसंस्करण से संबंधित (जैसे इस्पात विनिर्माण, डबलरोटी पकाना)।
तृतीयक क्रियाएँ: प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सेवाएँ प्रदान करती हैं (जैसे यातायात, व्यापार, बैंकिंग)।
कृषि के प्रकार:
निर्वाह कृषि (Subsistence Agriculture): कृषक परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की जाती है। इसमें निम्न स्तरीय प्रौद्योगिकी और पारिवारिक श्रम का उपयोग होता है।
गहन निर्वाह कृषि: छोटे भूखंड पर अधिक श्रम से खेती, वर्ष में एक से अधिक फसलें (मुख्यतः चावल)।
आदिम निर्वाह कृषि:
स्थानांतरित कृषि (Shifting Cultivation): वृक्षों को काटकर और जलाकर खेती, फिर भूमि छोड़कर नए भूखंड पर जाना (‘कर्तन एवं दहन’ कृषि)।
चलवासी पशुचारण (Nomadic Herding): पशुचारक अपने पशुओं (भेड़, ऊँट, मवेशी, याक, बकरियाँ) के साथ चारे और पानी की तलाश में घूमते हैं।
वाणिज्यिक कृषि (Commercial Agriculture): फसल उत्पादन और पशुपालन बाज़ार में विक्रय हेतु किया जाता है। इसमें विस्तृत कृषित क्षेत्र और अधिक पूँजी का उपयोग होता है।
वाणिज्यिक अनाज कृषि: फसलें वाणिज्यिक उद्देश्य से उगाई जाती हैं (जैसे गेहूँ, मक्का)।
मिश्रित कृषि (Mixed Farming): भूमि का उपयोग भोजन व चारे की फसलें उगाने और पशुधन पालन के लिए किया जाता है।
रोपण कृषि (Plantation Agriculture): वाणिज्यिक कृषि का एक प्रकार जहाँ एकल फसल (चाय, कहवा, काजू, रबड़, केला, कपास) उगाई जाती है। इसमें बृहत पैमाने पर श्रम और पूँजी की आवश्यकता होती है।
मुख्य फसलें:
चावल: विश्व की मुख्य खाद्य फसल, उच्च तापमान, अधिक आर्द्रता, वर्षा और चीकायुक्त जलोढ़ मृदा की आवश्यकता। चीन अग्रणी उत्पादक।
गेहूँ: मध्यम तापमान, वर्षा और तेज़ धूप की आवश्यकता। सु-अपवाहित दुमट मृदा में सर्वोत्तम।
मिलेट (मोटे अनाज): कम वर्षा, उच्च से मध्यम तापमान और पर्याप्त सूर्य प्रकाश की आवश्यकता। ज्वार, बाजरा, रागी।
मक्का (Corn): मध्यम तापमान, वर्षा और अधिक धूप, सु-अपवाहित उपजाऊ मृदा की आवश्यकता।
कपास: उच्च तापमान, हल्की वर्षा, पाला रहित दिन और तेज़ धूप, काली और जलोढ़ मृदा में सर्वोत्तम। सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल।
पटसन (Jute): ‘सुनहरा रेशा’, उच्च तापमान, भारी वर्षा और आर्द्र जलवायु, जलोढ़ मृदा।
कॉफी: गर्म एवं आर्द्र जलवायु, सु-अपवाहित दोमट मृदा, पर्वतीय ढाल उपयुक्त।
चाय: ठंडी जलवायु, वर्ष भर समवितरित उच्च वर्षा, सु-अपवाहित दुमट मृदा और मंद ढाल, अधिक श्रमिकों की आवश्यकता।
कृषि का विकास: जनसंख्या की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास। बोए गए क्षेत्र में विस्तार, फसलों की संख्या बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, उर्वरकों और उच्च उपज वाले बीजों का प्रयोग, मशीनीकरण।
प्रश्न और उत्तर (संक्षिप्त):
1. कृषि क्या है?
उत्तर: कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जिसमें मिट्टी की जुताई, फसलें उगाना, पशुपालन, और मत्स्यन शामिल है। यह विज्ञान और कला का मिश्रण है।
2. कृषि को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
उत्तर: स्थलाकृति, मिट्टी, जलवायु, सूर्य का प्रकाश, वर्षा, तापमान, ढाल, श्रम, मशीनरी, उर्वरक और बीजों जैसे भौतिक और मानवीय निवेश कृषि को प्रभावित करते हैं।
3. स्थानांतरित कृषि क्या है? इसकी क्या हानियाँ हैं?
उत्तर: स्थानांतरित कृषि आदिम निर्वाह कृषि का एक प्रकार है जिसमें वृक्षों को काटकर और जलाकर भूखंड साफ किया जाता है, फिर राख को मिट्टी में मिलाकर फसलें उगाई जाती हैं। मिट्टी की उर्वरता समाप्त होने पर कृषक नए भूखंड पर चले जाते हैं। इसे ‘कर्तन एवं दहन’ कृषि भी कहते हैं।
हानियाँ: यह वनों की कटाई का कारण बनती है, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है, मिट्टी का कटाव बढ़ाती है और मिट्टी की उर्वरता जल्दी खत्म हो जाती है।
4. रोपण कृषि क्या है?
उत्तर: रोपण कृषि वाणिज्यिक कृषि का एक प्रकार है जहाँ चाय, कहवा, काजू, रबड़, केला अथवा कपास जैसी एकल फसल बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। इसमें अधिक श्रम और पूँजी की आवश्यकता होती है, और उत्पाद का प्रसंस्करण खेतों पर ही या निकट के कारखानों में किया जा सकता है।
5. सरकार किसानों को कृषि के विकास में कैसे मदद करती है?
उत्तर: सरकार बोए गए क्षेत्र में विस्तार करके, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करके, उच्च उपज वाले बीजों और उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देकर, कृषि के मशीनीकरण को बढ़ावा देकर और भंडारण सुविधाओं का विकास करके किसानों की मदद करती है।
महत्वपूर्ण CBSE प्रश्नोत्तर (आसान हिंदी में):
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
1. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्रियाओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएँ: वे क्रियाएँ जिनका संबंध प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन और निष्कर्षण से है। उदाहरण: कृषि, मत्स्यन।
द्वितीयक क्रियाएँ: वे क्रियाएँ जिनका संबंध प्राथमिक उत्पादों के प्रसंस्करण से है। उदाहरण: इस्पात विनिर्माण, कपड़ा बुनना।
तृतीयक क्रियाएँ: ये क्रियाएँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों को सेवाएँ प्रदान करती हैं। उदाहरण: यातायात, बैंकिंग, विज्ञापन।
2. निर्वाह कृषि और वाणिज्यिक कृषि में क्या अंतर है?
उत्तर:
निर्वाह कृषि: यह कृषक परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए की जाती है। इसमें कम तकनीक और पारिवारिक श्रम का उपयोग होता है। उपज का उपयोग मुख्य रूप से परिवार के लिए होता है।
वाणिज्यिक कृषि: यह बाज़ार में उत्पादों को बेचने के लिए की जाती है। इसमें बड़े खेत, अधिक पूँजी और मशीनों का उपयोग होता है।
3. “सुनहरा रेशा” से क्या अभिप्राय है? यह किस प्रकार की मिट्टी में उगता है?
उत्तर: “सुनहरा रेशा” पटसन को कहा जाता है। यह जलोढ़ मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है, जिसे उच्च तापमान, भारी वर्षा और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
4. चावल की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ बताएँ।
उत्तर: चावल की खेती के लिए उच्च तापमान (25°C से ऊपर), अधिक आर्द्रता और भारी वर्षा (100 सेमी से अधिक) की आवश्यकता होती है। चीकायुक्त जलोढ़ मिट्टी जिसमें जल रोकने की क्षमता हो, इसके लिए सबसे अच्छी होती है।
5. भारत में गेहूँ की खेती के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ क्या हैं?
उत्तर: गेहूँ के वर्धनकाल (बढ़ने का समय) में मध्यम तापमान और वर्षा की आवश्यकता होती है, जबकि कटाई के समय तेज़ धूप की आवश्यकता होती है। इसके लिए सु-अपवाहित दुमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
मध्यम उत्तरीय प्रश्न (Medium Answer Questions):
1. आदिम निर्वाह कृषि के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।
उत्तर: आदिम निर्वाह कृषि के दो मुख्य रूप हैं:
स्थानांतरित कृषि: इसमें वन क्षेत्रों में वृक्षों को काटकर और जलाकर भूखंड साफ किया जाता है। राख को मिट्टी में मिलाया जाता है और कुछ समय के लिए फसलें उगाई जाती हैं। मिट्टी की उर्वरता कम होने पर किसान नए भूखंड पर चले जाते हैं। इसे ‘कर्तन एवं दहन’ कृषि भी कहते हैं।
चलवासी पशुचारण: इसमें पशुचारक अपने पशुओं (भेड़, ऊँट, मवेशी, याक, बकरियाँ) के साथ चारे और पानी की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हैं। यह मुख्य रूप से अर्धशुष्क और शुष्क क्षेत्रों में प्रचलित है।
2. वाणिज्यिक कृषि के प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर: वाणिज्यिक कृषि के प्रमुख प्रकार हैं:
वाणिज्यिक अनाज कृषि: इसमें फसलें जैसे गेहूँ और मक्का बाज़ार में बेचने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं।
मिश्रित कृषि: इस प्रकार की कृषि में भूमि का उपयोग भोजन और चारे की फसलें उगाने के साथ-साथ पशुपालन के लिए भी किया जाता है।
रोपण कृषि: यह एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जहाँ चाय, कहवा, रबड़, केला आदि की एकल फसल बड़े बागानों में उगाई जाती है। इसमें अधिक पूँजी और श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
3. “कृषि का विकास” क्या है और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर: कृषि का विकास बढ़ती जनसंख्या की खाद्य माँग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में किए जाने वाले प्रयास हैं। इसे निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:
बोए गए क्षेत्र का विस्तार करना।
एक वर्ष में उगाई जाने वाली फसलों की संख्या बढ़ाना।
सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना।
उच्च उपज देने वाले बीजों और उर्वरकों का प्रयोग करना।
कृषि में मशीनीकरण को बढ़ावा देना।
भंडारण सुविधाओं का विकास करना।
4. भारत में एक फार्म और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक फार्म की तुलना करें।
उत्तर:
भारत में फार्म: आमतौर पर छोटे (लगभग 1.5 हेक्टेयर)। किसान मुख्य गाँव में रहता है। वह पारंपरिक तरीकों का उपयोग करता है, जैसे बैलों से जुताई। सिंचाई के लिए नलकूप का भाड़े पर उपयोग करता है। सहकारी समिति से सलाह और ऋण लेता है। अधिकांश किसानों के पास भंडारण सुविधाएँ कम होती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में फार्म: बहुत बड़े (औसतन 250 हेक्टेयर)। किसान फार्म पर ही रहता है। मृदा परीक्षण, रासायनिक उर्वरकों और पीड़कनाशकों का आवश्यकतानुसार उपयोग करता है। मशीनीकृत खेती (ट्रैक्टर, हार्वेस्टर) का व्यापक उपयोग होता है। कंप्यूटर और उपग्रह तकनीक का उपयोग करता है। किसान एक व्यवसायी की तरह काम करता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
1. रोपण कृषि की विशेषताएँ और उदाहरण विस्तार से बताएँ।
उत्तर: रोपण कृषि वाणिज्यिक कृषि का एक प्रमुख प्रकार है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
एकल फसल: इसमें किसी एक ही फसल (जैसे चाय, कहवा, काजू, रबड़, केला, कपास) को बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
विस्तृत क्षेत्र: बागान बहुत बड़े होते हैं और इनमें विस्तृत कृषि क्षेत्र होता है।
अधिक श्रम और पूँजी: इसमें बड़ी मात्रा में श्रमिकों और पर्याप्त पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है।
प्रसंस्करण सुविधाएँ: उत्पाद का प्रसंस्करण अक्सर खेतों पर ही या निकट के कारखानों में किया जाता है।
परिवहन जाल: उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए एक कुशल परिवहन जाल (सड़कें, बंदरगाह) का होना अनिवार्य है।
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र: रोपण कृषि मुख्य रूप से विश्व के उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाई जाती है।
उदाहरण: मलेशिया में रबड़, ब्राजील में कहवा, भारत और श्रीलंका में चाय, अफ्रीका में कोको।
रोपण कृषि का उद्देश्य बड़े पैमाने पर उत्पादन करके लाभ कमाना होता है। यह अक्सर निर्यात-उन्मुख होती है।
2. मक्का, कपास और चाय की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
मक्का (Corn):
तापमान: मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा: मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है।
सूर्य का प्रकाश: अधिक धूप की आवश्यकता होती है।
मिट्टी: सु-अपवाहित (अच्छी जल निकासी वाली) उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
उत्पादक क्षेत्र: उत्तरी अमेरिका, ब्राजील, चीन, रूस, कनाडा, भारत और मैक्सिको।
कपास (Cotton):
तापमान: उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा: हल्की वर्षा (50-100 सेमी) की आवश्यकता होती है।
पाला रहित दिन: 200 से 210 पाला रहित दिनों और तेज़ चमकीली धूप की आवश्यकता होती है।
मिट्टी: काली और जलोढ़ मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम होती है।
महत्व: यह सूती वस्त्र उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
उत्पादक क्षेत्र: चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील और मिस्र।
चाय (Tea):
जलवायु: ठंडी जलवायु और वर्ष भर समवितरित (समान रूप से फैली हुई) उच्च वर्षा की आवश्यकता होती है।
मिट्टी: सु-अपवाहित दुमट मिट्टी और मंद ढाल (पहाड़ी ढलान) उपयुक्त होती है, जिससे पानी जमा न हो।
श्रम: पत्तियों को चुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र: भारत, श्रीलंका, चीन और केन्या।
अध्याय 3: कृषि